सिर्फ ज्यादा देर तक काम करने से - ज्यादा कमाई नहीं होती
आइये इसे एक कहानी से जानेंगे - लल्लू और मुनीम
मैंने तुरंत सारा सामान 100 Rs. प्रति किलो लाभ (profit ) पर बेच दिया, क्योंकि शाम तक और सामान आने से लाभ (profit ) सिर्फ 60 Rs प्रति किलो रह जाता। और अगर मैं आपसे पूछने भी आता, तो शाम हो जाती और प्रॉफिट कम हो जाता। इसलिए मैं सभी सामान प्रॉफिट के साथ बेच आया.
"हम सभी तरक्की (Success ) चाहतें हैं पर जो कर रहे होतें हैं, उसके नए तरीको और ज्ञान को जितना बढाएंगे, उतनी ही हमारी तरक्की (Success ) होती है - न उससे कम - न उससे ज्यादा
संजय माकड़
9311226033
LearnCorelDrawinHindi.blogspot .in
आइये इसे एक कहानी से जानेंगे - लल्लू और मुनीम
एक सेठ के यहाँ, एक मुनीम और एक नौकर काम करतें थे। नौकर 24 घंटे सेठ के साथ रहता, और सारे घरेलू काम करता था, जैसे खाना पकाना, साफ सफाई करना, सेठ की मालिश करना आदि। नौकर का नाम लल्लू था और 5000 Rs. महिना तनख्वाह (salary) पाता था
सेठ का काम, दुसरे राज्यों से, ड्राई फ्रूट जैसे बादाम, किशमिश, काजू थोक में मंगवा कर, अपने शहर में थोक में बेचना था। शहर में एक नदी थी और सेठ का सामान नावों से दूसरे राज्यों से आता था और मुनीम उन सभी आने वाले सामान को profit (लाभ) के साथ इस शहर में बेचने का काम करता था. शहर में इन सामान का क्या भाव चल रहा है मुनीम इसका ध्यान रखता था।
नदी तक आने-जाने में आधा दिन लग जाता था. पर मुनीम, दिन में 12 बजे आता, और शाम 6 बजे तक चला जाता था। काम करने के उसे 25,000 Rs. महिना तनख्वाह (salary) मिलती थी।
लल्लू अपनी सैलरी को लेकर कई बार सोचता की,
वह तो ज्यादा देर तक काम करता है, उसे सेठ कम सैलरी देता है, और मुनीम जो
कम समय के लिए नौकरी पर आता है, उसे ज्यादा सैलरी देता है.
आखिर बहुत सोचने के बाद, लल्लू ने सेठ से पूछ ही लिया, की सेठ जी, मुझे सैलरी कम क्यों मिलती है, और मुनीम को ज्यादा सैलरी क्यों मिलती है.
सेठ ने कहा की, लल्लू तेरी तो ये सैलरी भी मुझे महंगी पड़ती है, और मुनीम तो इस सैलरी में भी सस्ता है.
लल्लू ये सुन कर तुनक गया, और सेठ से बोला,
सेठ जी, ये कोई बात नहीं हुई, अब तो आप साबित कर के बताओ, की मैं महंगा
कैसे, और मुनीम सस्ता कैसे. आप मुझे मुनीम का काम करा कर देखो, मैं भी ये काम कर सकता हूँ
सेठ ने कहा बिलकुल, कल ही पता चल जायेगा। कल मुनीम 1 दिन की छुट्टी पर जा रहा है, तो उसकी जगह तुम उसका काम कर लो, फिर तुम्हे पता चल जायेगा की मेरी बात कितनी सही है. कल हमारा सामान नाव से आने वाला है तुम पता करों और मुनीम के जैसे काम कर के दिखाओ।
अगले दिन सुबह-सुबह लल्लू नदी पर गया, और दोपहर तक वापस आकर बोला, सेठ जी हमारा माल आ गया है. सेठ ने पूछा, कितनी नाव आई हैं और क्या सामान आया है.
लल्लू ने कहा, ये तो मैंने पता नहीं किया, मैंने तो बस सामान का पता किया था. मैं अभी पता कर के आता हूँ
वो फिर से नदी पर गया और शाम तक पता कर के आया और बोला, सेठ जी 3 नाव आई है इनमें काजू और बादाम आयें हैं अब सेठ ने पूछा, की कितनी-कितनी बोरियां आयीं हैं
लल्लू ने कहा, सेठ जी ये क्या बात हुई आप एक बार में सारें काम क्यों नहीं बतातें,
सेठ ने कहा, ये ही तो तेरी कमी है, तू उतना ही करता है, जितना कहा जाता है। अपनी समझ को, और नहीं बढ़ाता है. इतने समय से ये काम देख रहा है, पर तूने कभी खुद से जानकारी लेने की कोशिश नहीं की, बाज़ार जा कर भी तूने अपना ज्ञान बढ़ाने की कोशिश नहीं की,
अब कल मुनीम को आने दे, और देख, की वो क्या करता है.
अगले दिन मुनीम शाम को आया और सेठ को 20 लाख रूपए देकर कहा, सेठ जी जाते समय मैं पता कर के गया था, की हमारा सामान आने वाला है, जिसमे काजू और बादाम आने थे इसलिए मैं पहले नदी पर गया, पता चला की किसी और का भी यही सामान, शाम तक आने वाला है, मैंने तुरंत सारा सामान 100 Rs. प्रति किलो लाभ (profit ) पर बेच दिया, क्योंकि शाम तक और सामान आने से लाभ (profit ) सिर्फ 60 Rs प्रति किलो रह जाता। और अगर मैं आपसे पूछने भी आता, तो शाम हो जाती और प्रॉफिट कम हो जाता। इसलिए मैं सभी सामान प्रॉफिट के साथ बेच आया.
"हम सभी तरक्की (Success ) चाहतें हैं पर जो कर रहे होतें हैं, उसके नए तरीको और ज्ञान को जितना बढाएंगे, उतनी ही हमारी तरक्की (Success ) होती है - न उससे कम - न उससे ज्यादा
संजय माकड़
9311226033
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